Monday, July 18, 2011

Raja Bhoj

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  1. परमार भोज

    परमार भोज परमार वंश के नवें राजा थे। परमार (पवार(हिन्दी)/ पोवार(मराठी)) वंशीय राजाओं ने मालवा की राजधानी धारानगरी से आठवीं शताब्दी से लेकर चौदहवीं शताब्दी के पूर्वार्ध तक राज्य किया था। भोज ने बहुत से युद्ध किए और अपनी प्रतिष्ठा स्थापित की जिससे सिद्ध होता है कि उसमें असाधारण योग्यता थी। यद्यपि उसके जीवन का अधिकांश युद्धक्षेत्र में बीता तथापि उसने अपने राज्य की उन्नति में किसी प्रकार की बाधा न उत्पन्न होने दी। उसने मालव के नगरों व ग्रामों में बहुत से मंदिर बनवाए, यद्यपि उनमें से अब बहुत कम का पता चलता है। वह स्वयं बहुत विद्वान था और कहा जाता है कि उसने धर्म, खगोल विद्या, कला, कोशरचना, भवननिर्माण, काव्य, औषध-शास्त्र आदि विभिन्न विषयों पर पुस्तकें लिखी हैं जो अब भी वर्तमान हैं। इसके समय में कवियों को राज्य से आश्रय मिला था। इसने सन् 1000 ई. से 1055 ई. तक राज्य किया। सरस्वतीकंठाभरण उनकी प्रसिद्ध रचना है।

    जब भोज जीवित थे तो कहा जाता था-

    अद्य धारा सदाधारा सदालम्बा सरस्वती।
    पण्डिता मण्डिताः सर्वे भोजराजे भुवि स्थिते॥

    (आज जब भोजराज धरती पर स्थित हैं तो धारा नगरी सदाधारा (अच्छे आधार वाली) है; सरस्वती को सदा आलम्ब मिला हुआ है; सभी पंडित आदृत हैं।)

    जब उनका देहान्त हुआ तो कहा गया -

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