Saturday, December 17, 2011

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Tuesday, November 15, 2011

यह है भोपाल के आस पास के जंगलों में घूमता हुआ बाघ
जिसे पकडकर वन विभाग किसी और घने  जंगल में शिफ्ट करना चाहता है
कलियासोत-केरवा डेम क्षेत्र में सक्रिय बाघ के स्वभाव और उसके मूवमेंट की जानकारी लेने के लिए सोमवार को वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फेडरेशन (डब्ल्यू-डब्ल्यू एफ) की टीम ने केरवा के जंगल का दौरा किया। टीम के सदस्यों का कहना है कि बाघ अपने नेचुरल हैबिटेट में है, उसकी शिफ्टिंग को लेकर सरकार जल्दबाजी न करे। सदस्यों ने कहा कि बाघ के रहने के लिए केरवा का जंगल प्रदेश का सबसे अच्छा क्षेत्र है, इसे संरक्षित किया जाना चाहिए।


Friday, October 7, 2011

स्टीव जॉब्स

गैरेज से शुरू हुआ कामयाबी का सफर...

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21 साल की उम्र (1976) में अपने पिता की गैरेज से एप्पल कंपनी की शुरुआत की। यहां पर उनके दोस्त वोजिनियाक और उन्होंने कंप्यूटर सर्किट बोर्ड बनाया। एप्पल-1 कंप्यूटर बनाया। कीमत 666.66 डॉलर (32,738.34 रु.)।
22 साल की उम्र (1977) में एप्पल-2 कंप्यूटर बनाया। यह पहला पर्सनल कंप्यूटर था, जिस पर रंगीन ग्राफिक्स की सुविधा थी। कंपनी का रिवेन्यू 10 लाख डॉलर हो गया।
30 साल की उम्र (1985) में कंपनी छोड़नी पड़ी।
लेकिन हार नहीं मानी..
31 साल की उम्र (1986) में जॉब्स ने कंप्यूटर सिस्टम बनाने वाली कंपनी नेक्स्ट की शुरुआत की। इसी साल उन्होंने 1 करोड़ डॉलर में पिक्सर कंपनी को खरीदा।
34 साल की उम्र (1989) में जॉब्स ने पर्सनल कंप्यूटर लॉन्च किया।
40 साल की उम्र (1995) में जॉब्स ने कंप्यूटर निर्माण से ध्यान हटाकर एनिमेशन वाली फिल्में बनानी शुरू की। 1995 में टॉय स्टोरी नाम की फिल्म ने दुनिया भर में 35 करोड़ डॉलर कमाए। इसके बाद ए बग्स लाइफ, फाइंडिंग नीमो और मॉन्स्टर्स इंक जैसी फिल्में भी आईं।
41 साल की उम्र (1996) में उनकी कंपनी नेक्स्ट को एप्पल ने 40.3 करोड़ डॉलर में खरीदा।
42 साल की उम्र (1997) में एप्पल में सलाहकार के रूप में लौटे।
43 साल की उम्र (1998) में घाटे में चली रही एप्पल को फायदे में लाए। आई-मैक लॉन्च किया। 45 साल की उम्र (2000) में एप्पल के सीईओ बने।
46 की उम्र (2001) में पहला आईपॉड लॉन्च किया।
48 की उम्र (2003) में 2 लाख गानों के साथ आईट्यून्स म्यूजिक स्टोर शुरू किया। पहले सप्ताह में ही दस लाख गाने बिके।
50 साल की उम्र में (2005) आईपॉड पर वीडियो की सुविधा भी दी।
51 साल की उम्र (2006) में जॉब्स की पिक्सर को डिजनी ने 7.4 अरब डॉलर में खरीदा।  52 साल की उम्र (2007) में पहला स्मार्टफोन आईफोन लॉन्च किया।
53 साल की उम्र (2008) में एप्प स्टोर शुरू किया।
55 साल की उम्र (2010) में आईपैड लॉन्च किया।  पहले ही साल में 15 मिलियन (डेढ़ करोड़) बिके। 
56 साल (2011) में आईपैड 2 लॉन्च किया। आई फोन ४ह्य भी। (जनवरी 2011) में फिर से घोषणा हुई कि जॉब्स लंबी छुट्टी पर जा रहे हैं। सीओओ टिम कुक ने कंपनी के प्रमुख काम को संभाला। लेकिन जॉब्स ने कहा, वह सीईओ बने रहेंगे। 
अप्रैल 2011 एप्पल ने घोषणा की, जॉब्स ने कंपनी के सीईओ पद से इस्तीफा दे दिया है। कुक नए सीईओ बने। जॉब्स को चेयरमैन बनाया।
ये थे बड़े दुखद मोड़
पैदा होते ही माता-पिता ने छोड़ा
जॉब्स के माता-पिता अविवाहित थे। इसलिए स्टीव को उन्होंने अनाथालय में दे दिया था। हालांकि बाद में दोनों ने शादी कर ली।
जिस कंपनी को बनाया उसी से निकाला
अपने दोस्त स्टीव वोजिनियाक के साथ मिलकर जिस कंपनी एप्पल को शुरू किया, उसी से निकाल दिए गए।
कैंसर ने दिया झटका
बरसों से अग्नाशय कैंसर से जूझ रहे स्टीव जॉब्स को काफी पहले से पता था कि मृत्यु करीब है। यह बात एप्पल के सहसंस्थापक की 21 नवंबर को बाजार में आ रही जीवनी में कही गई है। वाल्टर आईजैकसन की किताब स्टीव जॉब्स 21 नवंबर को आ रही है उन्होंने कहा जॉब्स ने उस समय संकेत दिया था कि उन्हें पता था कि अंत करीब है।
छूटी पढ़ाई
जॉब्स की स्कूली पढ़ाई कैलिफोर्निया में ही हुई। वे स्कूल के बाद हेवेट-पैकार्ड कंपनी की ओर से होने वाले लेक्चर में हिस्सा लेने लगे। उन्होंने वहीं पार्टटाइम नौकरी भी की। फिर जॉब्स ने पोर्टलैंड के रीड कॉलेज में दाखिला लिया।
फीस नहीं दे पाने के कारण उन्हें पहले सेमेस्टर में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ी। हालांकि, उन्होंने कॉलेज की कैलिग्राफी कक्षा कभी नहीं छोड़ी। इसी का फायदा उन्हें बाद में कंप्यूटर डिजाइनिंग में मिला। हर फॉन्ट की खास बनावट थी और उसमे पर्याप्त जगह भी। यहीं से डिजाइनर टैक्नोलॉजी की नींव उनके जीवन में शामिल हुई।
मंदिर में भोजन: जॉब्स अपने खर्च को जुटाने के लिए कोक की खाली बोतल बेचते। स्थानीय इस्कॉन मंदिर में मुफ्त भोजन करते। बचपन भी उनका कोई कम परेशानी में नहीं बीता। उन्हें गोद लेने वाले माता पिता भी बेहद गरीब थे
यहीं आया एप्पल का ख्याल
भारत का अध्यात्म जॉब्स को बहुत आकर्षित करता था। वे हिप्पी की तरह भारत आए। उनके साथ कॉलेज के मित्र डेनियल कोटके भी थे, जो बाद में एप्पल के पहले कर्मचारी बने। वे नैनीताल के बाबा नीमकरौली के कैंची आश्रम में रहे। बाबा को उनके अनुयाई हनुमान का अवतार मानते थे। हालांकि, जॉब्स उनसे मुलाकात नहीं कर पाए।
बाबा की इससे पहले ही मौत हो गई। लेकिन जॉब्स ने बाबा को अपना गुरू माना। और अध्यात्म से जुड़े। गर्मियों में यहां रहते हुए जॉब्स ने भारत को लेकर कई बातों पर चिंतन किया, जिसका उनकी जीवनी में उल्लेख है।
उन्होंने भारत को अपनी कल्पना से ज्यादा गरीब पाया। लेकिन उन्हें यह जानकर आश्चर्य हुआ कि ऐसे हालात में भी यहां इतनी सादगी और पवित्रता है। हालांकि अमेरिका लौटते हुए उन्होंने मुंडन करा लिया और बौद्ध हो गए। उनके परिधानों में भारतीयता नजर आती थी। वे निजी जीवन में सादगी पसंद हो गए और ताजिंदगी शाकाहारी रहे।
पहली कहानी- कॉलेज छोड़ने का सही फैसला

मैंने रीड कॉलेज छह महीने में ही छोड़ दिया था। लेकिन इसकी तैयारी काफी पहले हो चुकी थी। मेरी अविवाहित व कॉलेज की छात्रा मां ने मुझे किसी को गोद देने का फैसला किया। जो मुझे गोद ले रहे थे वे स्नातक नहीं थे। यह पता लगते ही मेरी मां ने काग़ज़ातों पर दस्तखत से मना कर दिया। जब उन्होंने मुझे कॉलेज भेजने का भरोसा दिलाया, तब मां तैयार हुईं। जो कॉलेज चुना, वह स्टैनफोर्ड जैसा ही महंगा था। माता-पिता की सारी कमाई फीस में चली जाती थी। छह महीनों में मैंने महसूस किया कि इस पढ़ाई का मुझे कोई फायदा नहीं है। तब मैंने कॉलेज छोड़ना तय किया। तब यह भयावह निर्णय था, लेकिन आज सोचता हूं कि वह बेहतर फैसलों में से एक था। यदि मैंने कॉलेज नहीं छोड़ा होता तो कैलीग्राफी की कक्षा नहीं की होती और पर्सनल कंप्यूटर बनाने में सुंदर टाइपोग्राफी शामिल नहीं होती। कॉलेज में रहते हुए बिन्दुओं को सामने की ओर जोड़ना असंभव था, लेकिन दस साल बाद ये आसान है। आप भविष्य के बिन्दुओं को नहीं जोड़ सकते। आप तो उन्हें पीछे की ओर देखते हुए ही जोड़ सकते हैं। आपको भरोसा करना होगा कि ये सभी बिंदु भविष्य में जुड़ जाएंगे। आपको अपनी शक्ति, भाग्य, जीवन, कर्म वगैरह पर भरोसा करना होगा।मेरी इस शैली ने मुझे कभी नीचा नहीं दिखाया है और इसी ने मेरा जीवन कुछ हट कर बनाया।
दूसरी कहानी-

प्यार व नुकसान के बारे में मैं भाग्यशाली था। मैंने जिन्दगी की शुरुआत में जान लिया था कि मुझे किससे प्यार है। वोज और मैंने अपने मातापिता के गैरेज में एप्प्ल की शुरूआत की। तब मैं 20 साल का था। हमने कड़ी मेहनत की। 10 साल में एप्पल दो बिलियन डॉलर और चार हजार कर्मचारियों वाली कंपनी बन गई। हम अपनी सबसे खूबसूरत कृति मैकिंटोश बाजार में उतार चुके थे। मैं 30 साल का हो चुका था। और तभी मुझे एप्पल से निकाल दिया गया! आप उस कंपनी से कैसे निकाले जा सकते हैं जिसकी स्थापना आपने की थी? हम लोगों ने एप्पल में कुछ ऐसे लोगों को नौकरी दी, जिन्हें मैं प्रतिभाशाली समझता था। एक साल बाद हमारी सोच में अंतर आने लगा। तब कंपनी के निदेशक मंडल ने उनका साथ दिया। 30 साल की उम्र में मैं बाहर था। अगले कुछ महीनों तक मुझे नहीं मालूम था कि क्या करना चाहिए। मैं एक असफलता का प्रतीक था। मैंने सिलिकॉन वैली से भाग जाने का भी ख्याल किया। लेकिन मैंने सब कुछ फिर से शुरू करने की ठानी। तब तो मैंने महसूस नहीं किया लेकिन एप्पल से निकाला जाना मेरी जिन्दगी की सबसे अच्छी घटना है। इसी के बाद मेरी जिंदगी का सबसे सक्रिय हिस्सा शुरू हुआ और मैंने नेक्स्ट और पिक्सर नाम की कंपनियां शुरू कीं। पिक्सर ने विश्व की सबसे पहली कप्यूटर निर्मित एनीमेशन फीचर फिल्म ‘टॉय स्टोरी’ बनाई। आज यह विश्व का सबसे सफल एनीमेशन स्टूडियो है। फिर एप्प्ल ने नेक्स्ट को खरीद लिया, मैं एप्पल लौटा। मुझे पूरा विश्वास है कि यदि मुझे एप्पल से निकाला नहीं गया होता तो ये सब नहीं होता। वह एक कड़वी दवाई थी लेकिन मरीज को उसकी जरूरत होती है। यदि जिन्दगी आपके सर पर एक ईंट से प्रहार करे तो भी भरोसा न छोड़ें। मुझे विश्वास है कि इकलौती चीज जो मुझे संघर्ष करने की प्रेरणा देती रही, वो था मेरा अपने काम से प्यार। आपको अपने काम से उतना ही प्यार होना चाहिए, जितना अपने प्रेमी से। अपने जीवन में संतोष पाने का इकलौता रास्ता है आपका यह सोचना कि जो काम मैं कर रहा हूँ वो सवरेाम है। और सवरेाम काम वह है जिससे आप प्यार करते है। यदि आपको अपना प्यार नहीं मिला, ढूंढते रहें। रुकें नहीं। वह आपको जब भी मिलेगा आपका दिल उसे पहचान लेगा।

तीसरी कहानी- मौत के बारे में

17 साल की उम्र में मैंने कहीं पढ़ा था यदि आप हर दिन को जिन्दगी के अंतिम दिन की तरह जीते हैं, किसी दिन आप जरूर सच साबित होंगे। इसने मेरे मन पर गहरा प्रभाव डाला। तब से पिछले 33 सालों से हर सुबह मैंने आईने में खुद को देखा और पूछा हैयदि आज मेरी जिन्दगी का अंतिम दिन है तो मैं आज जो करने जा रहा हूं, वह करना चाहूँगा या नहीं? और जब उार कुछ दिनों तक लगातार नकारात्मक आया मुझे मालूम हो जाता है कि मुझे कुछ बदलने की जरूरत है। अपनी मृत्यु को याद रखना, वह सबसे अहम बात है, जिसने मुझे जिन्दगी के हर बड़े फैसले में मदद की है। क्योंकि लगभग सब कुछ, हर उम्मीद, गर्व या असफलता की शर्म का डर ये सब मौत के सामने मायने नहीं रखते। बच जाता है वही सच है। यह याद रखना कि आप एक दिन मरने वाले हैं, आपको इस जाल में फंसने से बचाएगा कि आप कुछ खो सकते हैं। फिर कोई कारण नहीं कि आप अपने मन के मुताबिक न चलें। एक साल पहले मुझे कैंसर का पता चला। डाक्टर ने मुझे घर जाकर बचे हुए सभी काम पूरे करने की सलाह थी। उनकी भाषा में इसका मतलब है मृत्यु की तैयारी। यह ऐसा बिरला कैंसर था जो ऑपरेशन से ठीक हो जाता है। मेरा ऑपरेशन हुआ। मैं अब अच्छा हूँ। यह मौत से मेरा सबसे नजदीकी साक्षात्कार था। आशा है इसका अनुभव अगले कुछ दशकों तक रहेगा। कोई नहीं मरना चाहता। जो स्वर्ग जाना चाहते है वह भी वहां जाने के लिए मरना नहीं चाहते। लेकिन मौत एक ऐसी मंजिल है, जहां हर किसी को पहुँचना है। इससे कोई बच नहीं पाया। और ऐसा होना भी चाहिए, क्योंकि मौत जिंदगी की सबसे बड़ी खोज है। वह पुराने को हटाकर, नए के लिये रास्ता बनाती है। आज आप नए हैं, लेकिन कुछ ही दिनों बाद आप बूढ़े हो जाएंगे और किनारे हटा दिए जाएंगे। यही सच है। आपके पास वक्त कम है, इसलिए किसी और के विचारों के अनुसार जीने के जाल में न फँसें। किसी और की सोच का शोर आपकी अंतरात्मा की आवाज को दबा न पाए। और, सबसे महत्वपूर्ण, आपके पास अपने दिल और अंतरात्मा के कहे का पालन करने का साहस होना चाहिए।
धन्यवाद

Wednesday, October 5, 2011

3 हजार रुपए वाला टेबलेट कंप्यूटर

लो आ गया 3 हजार रुपए वाला टेबलेट कंप्यूटर

 

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नई दिल्लीः भारत ने दिखा दिया है कि वह टेक्नोलॉजी में किसी से कम नहीं है। उसने आखिरकार दुनिया का सबसे सस्ता टेबलेट कंप्यूटर आकाश पेश कर दिया। बुधवार को राजधानी दिल्ली में यह टेबलेट उतार दिया गया। इस टेबलेट की कीमत 35 डॉलर छात्रों के लिए है लेकिन जनता को यह 2,999 रुपए में मिलेगा। इसे बनाया है यूके की कंपनी डेटाविंड ने। उसके सीईओ भारतीय मूल के नागरिक सुनीत सिंह तुली ने कहा कि यह रिटेल स्टोर में जल्दी ही उपलब्ध हो जाएगा। इस टेबलेट कंप्यूटर में इनबिल्ट सेलुलर मोडेम और सिम होगा जिससे इंटरनेट एक्सेस किया जा सकेगा। लेकिन यह महंगे वाले मॉडल में होगा। सरकार द्वारा छात्रों को दिए जाने वाले मॉडल में यह नहीं होगा। दोनों ही संस्करण गूगल के ऐंड्रायड प्लेटफॉर्म पर आधारित होंगे। इनमें इंटरनेट कनेक्शन के लिए वाई फाई की सुविधा होगी। इनमें 256 एमबी रैम होगा और 32 जीबी तक की मेमरी होगी।

Thursday, January 13, 2011

इस ब्लॉग के माध्यम से भोपाल शहर की कई जानकारी आपको देने के संकल्प के साथ हम भोपाल अत्त्रक्ट की शुरुआत करते है और आपको सम्बंधित विषय की सारीसामग्री सही सही मिल सके ऐसी आशा करते है