Sunday, March 4, 2012

हॉकी के जादूगर ने जब हैरान कर दिया हिटलर को

हॉकी के जादूगर ने जब हैरान कर दिया हिटलर को
ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर ऐसे ही नहीं कहा जाता था। ध्यानचंद एक ऐसी हस्ती थे जिनके आगे दुनिया का सबसे क्रूर तानाशाह एडोल्फ हिटलर भी नतमस्तक हो गया था। ध्यानचंद की अगुवाई में टीम इंडिया ने हिटलर के घर जाकर उसकी टीम को मात दी थी।


1936 बर्लिन ओलिंपिक के फाइनल में भारत ने मेजबान जर्मनी को 8-1 से रौंदा था। इस मुकाबले को देखने के लिए आए 40 हजार दर्शकों में शीर्ष नाजी अधिकारी एडोल्फ हिटलर, हरमन गोरिंग, जॉसेफ गोबेल्स और जोएचिम रिबेनट्रॉप शामिल थे।

जब मैच में समय समाप्ति की घोषणा हुई और मेजबान टीम 1-8 से हार गई, तब पूरे स्टेडियम में सन्नाटा पसर गया। विजेता टीम को स्वर्ण पदक देने के लिए एडोल्फ हिटलर को आना था। लेकिन अपनी टीम का लचर प्रदर्शन देखने के बाद गुस्से में आए हिटलर मैच खत्म होने से पहले ही स्टेडियम छोड़कर चले गए थे।

अगले दिन हिटलर ने भारतीय कप्तान ध्यानचंद को मिलने के लिए बुलाया। ध्यानचंद ने हिटलर की क्रूरता के कई किस्से-कहानी सुन रखे थे। इसलिए वो हिटलर का आमंत्रण पत्र देख ध्यानचंद चिंतित हो गए कि आखिर तानाशाह ने उन्हें क्यों बुलाया है।

कैसी रही मुलाकात?

डरते-डरते ध्यानचंद हिटलर से मिलने पहुंचे। वहां हिटलर ने उनसे पूछा कि वो भारत में क्या करते हैं? ध्यानचंद ने बताया कि वो भारतीय सेना में मेजर हैं।

इस बात को सुनकर हिटलर बहुत खुश हुए और उन्होंने ध्यानचंद के सामने जर्मनी की सेना से जुड़ने का प्रस्ताव रख दिया।

ध्यानचंद ने विनम्रता से हिटलर के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। हिटलर ने पूरी भारतीय टीम के लिए एक विशाल भोज का आयोजन किया था। हालांकि पूरी भारतीय टीम ने हिटलर से दूर रहने में ही अपनी भलाई समझी।

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