होली है
रंग है गुलाल है हर और धमाल है
फागुन के गीतों में रचा हुआ
शोर गुल कमाल है
टेसू के फूलों से , मिठाई और खीलों से
गुझियाँ और पपड़ी से
हुरियारों की टोली से
बदली हुई बहारों से
आनंद की फुहारों से
राग और मल्हारों से
फैली ये उमंग है
मस्ती है तरंग है
होली के ये रंग है,
जीवन के हर मोड़ पे
दुखों के पहाड़ है
कभी अश्रु है
कभी लाचार है
इन कर्मो से मुक्त हो
करना यही स्वीकार है
जीवन में तो लगे हुए ये
सुख दुःख धुप छाव है
इस बदली फागुन की बेला में
यही तो शुद्ध विचार है
रंग भरो दुःख को बिसरो
होली रंगों का त्यौहार है!
(विनय शाक्य)
No comments:
Post a Comment