Sunday, March 4, 2012

शेर ओ शायेरी


 शायेरी
मोहब्बत उसने मोहब्बत से ज्यादा की थी
हमने मोहब्बत उससे भी ज्यादा की थी
वो किसे  कहेगी मोहब्बत की इन्तहा
हमने शुरुआत ही इन्तेहा से की थी  

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फलक में अपनी जन्नत के सितारे नहीं
हम उनके है पर वो हमारे नहीं
छोटी सी नाव लेकर उस समंदर में उतर गए
जिस समंदर में दूर तक किनारे नहीं  

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